जूते बनाने और बेचने वाले कारोबारियों ने GST ऑफिस के बाहर लगाया धरना, कहा- सरकार कम करे टैक्स

 







पंजाब के जालंधर जिले में जूता कारोबारी इन दिनों केंद्र सरकार से खूब खफा हैं। इनकी नाराजगी का कारण जूतों पर बढ़ाया गया जीएसटी है। पहले जूते पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था, जो अब सीधे 7 प्रतिशत बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे कारोबारियों में रोष है।

जूतों पर जीएसटी दोगुने से भी ज्यादा बढ़ा देने पर सोमवार को जूता निर्माता और विक्रेताओं ने इकट्ठे होकर सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। कारोबारियों ने जीएसटी भवन के बाहर धरना भी लगाया। कारोबारियों का कहना है कि जूता और चप्पल सिर्फ अमीर लोग ही नहीं पहनते, बल्कि गरीब भी पहनता है। सबसे ज्यादा आबादी भारत में मिडिल क्लास और गरीबों की है। उन्हें सरकार को यह जरूरत की चीज सस्ती उपलब्ध करवानी चाहिए और इस पर टैक्स घटाना चाहिए।

लेकिन इसके बिल्कुल विपरीत केंद्र सरकार ने जूते-चप्पलों पर जीएसटी दोगुने से भी ज्यादा बढ़ाकर न सिर्फ कारोबारियों को झटका दिया है, बल्कि आमजन की जेब पर बोझ भी डाला है। बहुत सीधा-सा फार्मूला है कि यदि जूते-चप्पल पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगेगा तो जाहिर है कि उसकी कीमत भी 12 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएगी। इससे कारोबारियों को भी नुकसान होगा और आम जनता के सिर पर भी बोझ बढ़ेगा। सरकार को तो चाहिए था कि हर इंसान की फिक्र करते हुए एसी आइटम जिसे बच्चे से लेकर बूढ़े तक प्रयोग करते हों, को कर मुक्त कर देना चाहिए था।

व्यापारी तो आराम से सरकार का खजाना भरने के लिए टैक्स देना चाहता है। लेकिन सरकार जीएसटी बढ़ा कर खुद व्यापारियों को चोरी का रास्ता अपनाने के लिए मजबूर कर रही है। जाहिर है कि जब जीएसटी बढ़ेगा तो कॉस्ट भी बढ़ेगी। इससे बिक्री भी प्रभावित होगी। कोई भी व्यापारी नहीं चाहता कि इसकी सेल कम हो। उसके धंधे पर किसी तरह का कोई बुरा प्रभाव पड़े। इसलिए उसे फिर बीच के चोर रास्ते निकालने पड़ेगें, ताकि उसकी बिक्री बरकरार रहे। इसका सीधा असर सरकार के खजाने पर पड़ेगा। जो टैक्स जा भी रहा है, वह भी बंद हो जाएगा। सरकार खुद अपने खजाने की दुश्मन बनी हुई है।

गजेंद्र शेखावत के समक्ष भी उठाया था मुद्दा

पिछले दिनों चुनाव को लेकर उद्योगपतियों की भाजपा की लीडर शिप के साथ हुई बैठक में भी जीएसटी का मुद्दा उठा था। बैठक में दो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सोमप्रकाश के सामने जूता कारोबारियों ने यह मुद्दा उठाया था कि सरकार ने कपड़े को तो कर मुक्त कर दिया है, लेकिन जूते पर टैक्स बढ़ा दिया है। एक हाथ से दिया है तो दूसरे हाथ से छीन लिया है। जूते पर टैक्स पहले 5 प्रतिशत लगता था, लेकिन अब सीधे 12 प्रतिशत कर दिया गया है।

कपड़े पर जो टैक्स खत्म किया, वह जूते पर बढ़ा दिया। उन्होंने दोनों केंद्रीय मंत्रियों से इसे कम करवाने की गुहार लगाई थी। इस पर गजेंद्र चौहान ने अपने संबोधन में कहा था कि जीएसटी केंद्र सरकार तय नहीं करती, बल्कि राज्यों की बनाई हुई जीएसटी कौंसिल तय करती है। उन्होंने यह भी कहा था कि जो जीएसटी बढ़ा है, उसमें पंजाब सरकार की भूमिका है। लेकिन वह फिर भी इस मुद्दे को केंद्रीय वित्तमंत्री के समक्ष उठाएंगे।




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