दाढ़ी बनवाने पर भी देना होगा GST:दायरा बढ़ाया; प्लंबर, केटरिंग, ब्रोकर, फोटोग्राफी का काम करने वालों को भी चुकाना होगा टैक्स

 









प्रदेश में अब सैलून, प्लंबर, केटरर, ब्रोकर, फोटोग्राफर सहित दर्जनों प्रोफेशनल्स को भी जीएसटी चुकाना होगा। दरअसल, सेल्स टैक्स विभाग ने अधिकारियों को जिला स्तर पर करदाता बढ़ाने का अलग-अलग लक्ष्य दिया है। प्रदेश का वाणिज्यिक कर विभाग जिलावार 25 जनवरी से 25 फरवरी तक करदाता बढ़ाने का अभियान चलाएगा।

आयुक्त ने संभागीय उपायुक्त एवं सहायक आयुक्त सहित विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में आबादी के मान से नए करदाताओं का पंजीयन कराएं। कमाई के हिसाब से अब भी विभिन्न श्रेणी के लाखों लोग जीएसटी मुक्त हैं। इन्हें इसके दायरे में लाया जाएगा।

20-40 लाख टर्न-ओवर वाले ये व्यवसायी जीएसटी के दायरे में

खनन कारोबार से जुड़े व्यवसायी।
लीज एग्रीमेंट करने वाले व्यवसायी।
शासकीय विभागों में माल या सेवा सप्लायर।
कृषि मंडी, वन विभाग, पीडब्ल्यूडी से जुड़े व्यवसायी।
धारा 22 (1) एवं धारा 24 के तहत सप्लायर्स।
क्लस्टर आधारित आर्थिक गतिविधियों में कार्यरत समूह।
मैरिज गार्डन, कोचिंग, वेस्ट मैनेजमेंट, एडवरटाइजिंग।
अस्पतालों एवं शिक्षण संस्थाओं के सप्लायर्स।
स्टॉक ब्रोकर, इंश्योरेंस एजेंट, म्यूच्युल फंड ब्रोकर इत्यादि।
ब्यूटी पार्लर, मसाज पार्लर, हेयर कटिंग सैलून।
ब्रोकरेज सर्विसेज (मंडी या अनाज संबंधी सेवा)।
केटरिंग, बड़े डीजे या बैंड, लाइट एंड साउंड।
शादी या अन्य कार्यक्रमों में इवेंट मैनेजमेंट वाले।
रेस्त्रां, भोजनालय जैसी तमाम सर्विसेज।
टूर एंड ट्रैवल्स संबंधी सभी सर्विसेज।
आर्किटेक्ट, इंटीरियर जैसी सर्विसेज।
प्लंबर सर्विसेज।
हैवी अर्थ मूविंग मशीनरी।
बोरिंग व्यवसाय।
कॉस्मेटिक सर्जरी जैसे हेयर ट्रांसप्लांट, फेशियल।
पेस्ट कंट्रोल सर्विसेज।
मैनपावर सप्लाय।
सिक्युरिटी सर्विसेज, वेलनेस इंडस्ट्री, जिम, जंुबा।
फोटोग्राफी एंड वीडियोग्राफी।

टैक्स चोरी राेकने दवाओं के कच्चे माल पर क्यूआर कोड

नकली दवा के कारोबार और टैक्स चोरी रोकने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने औषधि अधिनियम 1945 के तहत नोटिफिकेशन जारी कर एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स (एपीआई) पर क्यूआर कोड लागू कर दिया है। यह फैसला 1 जनवरी 2023 से लागू होगा। इससे दवाओं के निर्माण में शुद्धता आएगी और टैक्स चोरी थमेगी। इंदौर में एपीआई का डेढ़ हजार करोड़ का कारोबार होता है।


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