जीएसटी काउंसिल की बैठक में पेट्रोल-डीजल पर हो सकती है चर्चा, सामने होंगी ये 5 चुनौतियां

 







28 मई को जीएसटी काउंसिल की होने वाली बैठक में पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों पर भी चर्चा होने की संभावना है। केंद्र सरकार अलग-अलग मोर्चों पर कई बार कह चुकी है कि तेल के दाम काबू में लाने के लिए उसे जीएसटी के दायरे में लाना होगा। वित्तमंत्री इस बारे में राज्यों के विचार जानने के बाद आगे का रोडमैप तय कर सकती है। वहीं राज्यों की तरफ से वैक्सीन और कोरोना के दौरान इलाज से जुड़े दूसरे जरूरी मोर्चों पर जीएसटी घटाने की मांग की गई है जिस पर काउिंसिल की बैठक में खास फोकस किया जाना है।

कोरोना के कारण केंद्र को लगातार दूसरे साल जीएसटी नुकसान की भरपाई करनी पड़ सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, केंद्र को 2.7 लाख करोड़ का मुआवजा देना पड़ सकता है।

मौजूदा समय में देश की आधी कंपनियां ही ई-वे बिल का इस्तेमाल कर रही है। इससे टैक्स चोरी होने की आशंका है। जीएसटी परिषद के सामने ई-वे बिल का विस्तार कर इसका दायरा बड़ा करने की चुनौती होगी।

जीएसटी काउंसिल को कोविड-19 की वैक्सीन को टैक्स में छूट देने के प्रस्ताव पर विचार होगा। अभी वैक्सीन पर 5 फीसदी जीएसटी लगता है। कुछ राज्यों ने कोरोना की वैक्सीन को पूरी तरह टैक्स से मुक्त रखने या 0.1 फीसदी का मामूली टैक्स लगाने का सुझाव दिया है।

जीएसटी में दो स्लैब 12 फीसदी और 18 फीसदी को मर्ज करने का फैसला लंबे समय से अटका हुआ है। इस बैठक में इस पर चर्चा होने की उम्मीद है, लेकिन मर्ज पर फैसला होगा या नहीं यह कहना मुश्किल है।

कोरोना की दूसरी लहर और लॉकडाउन के कारण मई महीने में जीएसटी संग्रह 30 फीसदी कम रहने की आशंका है। जीएसटी परिषद के सामने मौजूदा दौर में कर संग्रह बढ़ाकर सरकार के जरूरी खर्चों के लिए राजस्व जुटाना बड़ी चुनौती हो सकता है।

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