GST: ये जो 3 तरह के जीएसटी होते हैं, उनका क्या मतलब होता है और किसमें किसकी हिस्सेदारी होती है?

 







GST means Goods and Service Tax: केंद्र सरकार के बड़े फैसलों में नोटबंदी के बाद जीएसटी की सबसे ज्यादा चर्चा होती है. नवंबर 2016 में सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था, वहीं जुलाई 2017 से सरकार ने जीएसटी लागू किया. जब हम कोई प्रॉडक्ट खरीदते हैं या फिर कोई सर्विस लेते हैं तो हमें उसका टैक्स देना होता है. जीएसटी की ‘एक देश, एक टैक्स’ व्यवस्था के ​तहत आपको एक ही टैक्स देना होता है.

जीएसटी की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि किसी भी सामान या सर्विस पर इस टैक्स की दर पूरे देश में एक जैसी होती है. यानी देश ​के किसी हिस्से में मौजूद कस्टमर या कंज्यूमर को उस वस्तु या सेवा पर एक जैसा ही टैक्स देना होता है. जीएसटी को 3 प्रकार में बांटा गया है— सेंट्रल जीएसटी(CGST), स्टेट जीएसटी(SGST) और इंटीग्रेटेड जीएसटी(IGST). आइए जानते हैं कि किसमें किसी हिस्सेदारी होती है?
CGST क्या है?

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि CGST का फुल फॉर्म क्या है. इसका फुल फॉर्म है- Central Goods and Service Tax यानी जब किसी वस्तु या सेवा की राज्य के भीतर आपूर्ति होती है, तो इस स्थिति में केंद्र सरकार को दिया जाने वाला टैक्स सीजीएसटी कहलाता है. यानी अगर कोई व्यवसाई अपने ही राज्य में दूसरे व्यापारी से सामान या सर्विस लेता है तो इस डील के लिए केंद्र सरकार को CGST चुकाना होता है.
SGST क्या है?

SGST का फुल फॉर्म है State Goods and Service Tax. यानी जब किसी वस्तु या सेवा की राज्य के भीतर आपूर्ति होती है, तो राज्य सरकार के हिस्से में जाने वाला टैक्स स्टेट जीएसटी कहलाता है. इसे ऐसे समझिए कि कोई व्यापारी जब अपने ही राज्य के किसी दूसरे व्यापारी से वस्तु या सर्विस लेता है तो इस सौदे पर राज्य सरकार को SGST चुकाना होता है.
IGST क्या है?

IGST का फुल फॉर्म Integrated Goods and Service Tax होता है. जब दो अलग राज्यों के व्यापारियों या कारोबारियों के बीच वस्तु या सेवा को लेकर कोई डील होती है, तो इस पर इंटीग्रेटेड यानी एकीकृत जीएसटी (IGST) लगता है. यह CGST और SGST दोनों का जोड़ होता है. व्यापारी इसे सिर्फ केंद्र सरकार को चुकाते हैं.
दो भागों में बंटता है IGST

हालांकि केंद्र सरकार के पास जमा होने के बाद IGST दो भागों में बंटता है. Central का हिस्सा केंद्र सरकार रख लेती है, जबकि राज्यों का हिस्सा State Governments को दे दिया जाता है. IGST की वसूली का अधिकार केवल केंद्र के पास होता है. किसी दूसरे देश से प्रॉडक्ट्स या सर्विस पर टैक्स केंद्र और राज्य दोनों को मिलती है.
ITR की तरह यहां होता है GST Return

नई व्यवस्था के तहत जीएसटी सिस्टम में कारोबारियों के बिजनेस पर नजर रखने के लिए निगरानी के तमाम स्टेप्स बनाए गए हैं. हर महीने की कुल बिक्री, खरीदारी और टैक्स देनदारी के बारे में सरकार के पास विवरण पहुंचता है. ये सारे डिटेल्स ऑनलाइन होते हैं. GST Return की यही व्यवस्था होती है. बिजनेस के सही मिलान पर जमा किए गए टैक्स क्रेडिट के तौर पर व्यापारियों के पास वापस होते हैं.

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