Income Tax: क्या आप भी कई फॉर्म-16 से फाइल कर रहे ITR, तो जान लीजिए TDS का यह खास नियम








अगर आपने कई नौकरी बदली है तो आपके पास कई फॉर्म-16 हो सकते हैं. चूंकि अलग-अलग फॉर्म-16 हैं तो उनके पार्ट ए में अलग-अलग कंपनियों के TAN और उसके आधार पर काटे गए टीडीएस का हिसाब होगा. इन सबको जोड़ना होगा.


कई फॉर्म-16 है तो आईटीआर भरने का एक खास नियम है (सांकेतिक तस्वीर)

साल भर आपने कई नौकरी बदल ली और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल itr file करने जा रहे हैं तो टीडीएस से जुड़े नियम के बारे में जानकारी ले लेनी चाहिए. आपको जान लेना चाहिए कि कई फॉर्म-16 होंगे जिनसे आंकड़े और जानकारियां लेकर आईटीआर फाइलिंग itr filing का काम करना होगा. मान लें कि आपने साल भर में तीन संस्थान में नौकरी बदली है तो आपके पास तीन फॉर्म-16 होंगे. इन तीनों फॉर्म के आधार पर ही आईटीआर दाखिल करना होगा. इसमें टैक्स गणना की कुछ बारीकियों को समझ लेना चाहिए.

फॉर्म-16 सिर्फ सैलरीड या वेतनशुदा लोगों को ही मिलता है. इसका फॉरमेट इनकम टैक्स विभाग की ओर से पहले से तय होता है. सभी कंपनियों के लिए यह फॉर्म एक जैसा होता है. कंपनियों को अपने कर्मचारियों के आंकड़े इसमें भरने होते हैं. इस फॉर्म में दो सेक्शन पार्ट ए और पार्ट बी होते हैं. पार्ट ए में सरकार की ओर से काटे गए टैक्स की जानकारी होती है. यह टीडीएस के रूप में काटा जाता है. पार्ट बी में उस कमाई का जिक्र होता है जो एक साल में टैक्सपेयर करता है. इसमें सैलरी, बोनस, टैक्स सेविंग निवेश, एचआरए, डिडक्शन आदि की जानकारी होती है. इन दोनों को मिलाकर आईटीआर फाइल करनी होती है.
कई नौकरी बदली है तो कई फॉर्म-16 होंगे

अगर आपने कई नौकरी बदली है तो आपके पास कई फॉर्म-16 हो सकते हैं. चूंकि अलग-अलग फॉर्म-16 हैं तो उनके पार्ट ए में अलग-अलग कंपनियों के TAN और उसके आधार पर काटे गए टीडीएस का हिसाब होगा. हर कंपनी अपने हिसाब से टीडीएस काटती है. इसलिए अलग-अलग फॉर्म-16 में टीडीएस की कटौती अलग-अलग होगी. ऐसे में टीडीएस को जोड़ने का नियम है. यानी कि एक वित्तीय वर्ष में जिन-जिन कंपनियों ने टीडीएस काटा है, उन सभी टीडीएस को एकसाथ जोड़ दें. इससे ये पता चल जाएगा कि एक साल में कुल कितना टीडीएस कटा है.
पार्ट ए और पार्टी बी का लगाएं हिसाब

अब इसी आधार पर अलग-अलग फॉर्म-16 के पार्ट बी को देखें. सभी फॉर्म-16 में आपके इनकम की गणना की गई होगी और उसे पार्ट बी में दिखाया गया होगा. यह इनकम सैलरी और बोनस के रूप में होगी. इसी में टोटल टैक्स इनवेस्टमेंट, एचआरए पर छूट आदि का हिसाब होगा. इसके आधार पर आप यह गणना कर लें कि साल भर में कितनी कमाई हुई और उस पर टैक्स की देनदारी कितनी बनती है.

अब सभी फॉर्म-16 के पार्ट ए से टीडीएस जोड़ने और सभी फॉर्म-16 के पार्ट बी से इनकम और टैक्स छूट की गणना करने के बाद आईटीआर फाइल कर दें. इससे आपके पूरे साल का हिसाब एकसाथ लग जाएगा और आईटीआर फाइलिंग में कोई अंतर भी नहीं आएगा. अगर किसी सीए या अकाउंटेंट से आईटीआर भरा रहे हैं तो उसे सभी फॉर्म-16 देने होंगे जो आपने अलग-अलग संस्थानों से लिए हैं.
फॉर्म 26AS से कर लें मिलान

अब आप चाहें तो फॉर्म-16 के पार्ट ए में दी गई जानकारी का मिलान भी कर सकते हैं कि उसमें कोई अंतर तो नहीं. इसके लिए TRACES की वेबसाइट से फॉर्म 26एएस डाउनलोड कर सकते हैं. इस फॉर्म में सभी तरह की जानकारी एकसाथ मिल जाएगी जो अलग-अलग कंपनियों ने टीडीएस या टीसीएस के रूप में काटा है. अगर आपने अलग-अलग फॉर्म-16 टीडीएस की जो जानकारी जुटाई है, वह फॉर्म 26एएस से मैच नहीं करता है तो आपको सावधान रहना चाहिए. ऐसी स्थिति में फॉर्म 26एएस को ही सही मानकर उसकी जानकारी आईटीआर रिटर्न में देनी चाहिए.

अगर आपको इस प्रोसेस में मुश्किल आ रही है तो सबसे अच्छा होता है कि किसी सीए, टैक्स वकील या अकाउंटेंट की मदद लें. वे अलग-अलग फॉर्म-16 के माध्यम से आसानी से टैक्स की गणना कर लेंगे और आपका आईटीआर फाइल कर देंगे. इसके लिए आपको कुछ पैसे खर्च करने पड़ेंगे लेकिन काम आराम से हो जाएगा. उनसे गलती होने की संभावना भी कम रहेगी. इससे आपके समय के बचत भी होगी.




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