कपड़े पर 12% GST Tax की दर को वापस लिया जाए', व्यापारियों ने वित्त मंत्री को लिखा पत्र
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व्यापारियों ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से कपड़े पर प्रस्तावित 12% GST कर की दर (Proposed 12% GST tax rate on clothes) को वापस लेने का आग्रह किया है. वर्तमान में कपड़े पर 5% कर की दर लगी हुई है, जिसमें वृद्धि कर 12 प्रतिशत किया जाना प्रस्तावित है. व्यापारियों ने कहा है कि इस प्रस्तावित वृद्धि को वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि इस तरह की बढ़ोतरी से आम उपभोक्ताओं पर 7% कर की दर का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा और व्यापारियों को उनकी पूंजी को अवरुद्ध करके भी प्रभावित करेगा.
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भेजे गए पत्र में कहा है कि कई वर्षों से कपड़ा/कपड़ों पर कोई कर नहीं था. कपड़ा उद्योग को वापस कर के दायरे में लाना ही पूरे कपड़ा उद्योग के लिए एक बड़ा झटका था. कैट के नेतृत्व में व्यापार संगठनों ने इसकी वापस लेने की मांग की थी.
व्यापार और उद्योग द्वारा यह अनुरोध भी किया गया था कि यथास्थिति 5% की दर से बनाए रखा जाए और जहां भी 12% की दर को लागू किया गया है उसे घटाकर 5% किया जाए. व्यापारियों के इस विचार का केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने भी समर्थन किया, जिन्होंने स्पष्ट रूप से कैट प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि कपड़ा मंत्रालय 5% की कर दर को रखने के पक्ष में है और मंत्रालय ने पहले ही वित्त मंत्रालय को इस विचार के बारे में सूचित कर दिया है. उन्होंने कहा कि टेक्सटाइल पर जीएसटी दरों में वृद्धि (GST rates Increase on Textiles) न केवल अंतिम उपयोगकर्ताओं पर वित्तीय बोझ डालेगी, बल्कि छोटे व्यवसायियों को भी बुरी तरह प्रभावित करेगी और कानून के अभ्यस्त अपराधियों द्वारा कर की चोरी और विभिन्न कदाचार को प्रोत्साहित करेगी.
उन्होंने कहा है कि इसके साथ ही जो माल व्यवसायियों के स्टॉक में पड़ा है और एमआरपी पर बेचा गया है, उसका 7 प्रतिशत अतिरिक्त भार व्यवसायियों पर पड़ेगा. कर की दर में यह वृद्धि न केवल घरेलू व्यापार को बाधित करेगी, बल्कि निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी. पहले से ही कपड़ा उद्योग वियतनाम, इंडोनेशिया, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों के साथ सक्षम स्थिति में नहीं है. एक तरफ सरकार मेक इन इंडिया (Make In India) और आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) के बारे में बात करती है, पर दूसरी ओर इस तरह के उच्च कर लगाने से अनिश्चितता और निराशा का माहौल पैदा होता है. इसलिए जीएसटी कर की दर में वृद्धि को वापस लिया जाए.
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