GST Scam in MP: मध्‍य प्रदेश में फर्जी बिल से 315 करोड़ का जीएसटी घोटाला

 








मध्‍य प्रदेश वाणिज्य कर विभाग (राज्य जीएसटी) की एंटी इवेक्शन विंग ने जीएसटी में 315 करोड़ रुपये के घोटाले को उजागर किया है। सबसे पहले इंदौर और नीमच के पते पर फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी बिल काटे गए। इन बिलों के जरिए कागजों पर ही कारोबार दिखाया जाता था। इनपुट टैक्स क्रेडिट फर्जी बिलों से प्राप्त किया गया और अन्य कंपनियों को दिया गया। वाणिज्य कर विभाग की चपेट में कुल पांच कंपनियां आ गई हैं। इनमें से दो नीमच और तीन इंदौर की हैं। हालांकि अभी भी घोटालेबाज विभाग की गिरफ्त से दूर हैं।

कुछ माह पूर्व राज्य के वाणिज्यिक कर आयुक्त लोकेश जाटव ने पदभार ग्रहण करने के बाद ऐसी कंपनियों पर डाटा एनालिटिक्स कर निगरानी करने का निर्देश दिया था, जिनके पास स्थापित होने में कम समय है लेकिन उनका टर्नओवर बहुत अधिक है। एंटी-एविज़न ब्यूरो इंदौर-ए ने ऐसी पांच कंपनियों की पहचान की है। टीम के अधिकारियों ने इंदौर की श्रीनाथ सोया एक्जिम कॉरपोरेट की दो कंपनियों श्री वैभव लक्ष्मी इंडस्ट्रीज, जेएस भाटिया इंटरप्राइजेज और नीमच, अग्रवाल ऑर्गेनिक, अग्रवाल ओवरसीज के पतों की जांच की तो वहां कारोबार नहीं मिला।

एंटी-इवाजेन विंग के प्रभारी संयुक्त आयुक्त मनोज चौबे के मुताबिक श्रीनाथ सोया एक्जिम कॉरपोरेट फर्म का रजिस्ट्रेशन एक आटो चालक सचिन पटेरिया के नाम से मिला है। कंपनी के पंजीकरण के लिए आवेदन के साथ जाली किराया विलेख संलग्न किया गया था। जिस व्यक्ति के रेंट डीड में मकान मालिक के तौर पर दस्तखत हुए थे, उसकी भी कई साल पहले मौत हो चुकी है। इसी प्रकार मैसर्स श्री वैभव लक्ष्मी इंडस्ट्रीज के मालिक अजय परमार व्यवसाय के स्थान पर नहीं थे। बाकी तमाम कंपनियां भी कहीं से मजदूरों और ऐसे ही लोगों के दस्तावेज हड़प कर बनाई गईं। अब विभाग द्वारा मध्य प्रदेश और उसके बाहर इन फर्जी फर्मों द्वारा आईटीसी का लाभ देने वाली फर्मों के खिलाफ विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है। फर्जी आईटीसी हासिल करने वाली कई दर्जन कंपनियां अब विभाग की कार्रवाई के दायरे में आ सकती हैं

GST प्रणाली: ऐसा है टैक्स का सिस्टम

यदि किसी वस्तु पर एक बार कर जमा किया जाता है और उसके व्यवसाय को आगे या उसी रूप में संसाधित किया जाता है, तो अतीत में जमा किए गए कर का क्रेडिट उपलब्ध होता है। इसे इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी आईटीसी कहते हैं।

ऐसे हुआ घोटाला: कंपनियों ने की बिलों में हेराफेरी

ताजा घोटाले में बिना कोई सामान बेचे और खरीदे फर्जी बिल जारी किए गए। उन बिलों में टैक्स जमा करना दिखाया गया था। बिल जारी करने वाली फर्मों को भी फर्जी बनाया गया। ये बिल दूसरी कंपनियों को पास किए गए। फर्जी बिलों के जरिये टैक्स चुकाया दिखाकर आगे वाली फर्मों और कंपनियों ने उसका आइटीसी ले लिया।

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